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स्वतंत्रता के 71 वर्ष और विश्वकर्मा समाज

वर्तमान समय से 71 वर्ष पूर्व जब 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वाधीनता प्राप्त हुई थी। तब भारत की राजनैतिक प्रतिष्ठा और आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय थी। तब से आज 71 वर्षों के अन्तराल में वैश्विक परिवेश में भारत की राजनैतिक प्रतिष्ठा और आर्थिक स्थिति में धरती-आकाश का अंतर आ चुका है। यह परिवर्तन दर्शाता है कि इन 71 वर्षों के अंतराल में भारत में निवास करने वाले लोगों के जीवन स्तर में व्यापक परिवर्तन आया है। लेकिन इतने सब परिवर्तनों के मध्य विश्वकर्मा समाज की राजनैतिक, आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति में उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं आ सका है। विश्वकर्मा समाज की इस परिस्थिति के जिम्मेदार जितने सत्ताधारी लोगों द्वारा की गई उपेक्षा रही है। उतनी ही स्वयं समाज के लोगों की मानसिकता भी। समाज को लोगों की मानसिकता रही है कि वह सिंहासन चाहे स्वर्ण का बनाएं या लौह का अथवा लकड़ी का वह बैठने का अधिकार सदैव दूसरे को दे देते हैं। विश्वकर्मा समाज द्वारा निर्मित सिंहासनों से सुसज्जित राजसभाओं में कभी किसी सिंहासन पर बैठने का अधिकार विश्वकर्मा समाज को नहीं मिला। क्योंकि यह अधिकार कभीं हमने चाहा ही नहीं। विश्वकर्मा समा...