महापुरुषों से प्रेरणा लेकर समाजोत्थान की दिशा में आगे बढें।
कोई भी व्यक्ति अथवा समाज अपने अतीत और पूर्वजों से प्रेरणा लेता है और पूर्वजों, महापुरुषों और ऋषि मुनियों द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों और उनके द्वारा बताये गए रास्तों पर चल कर ही प्रगति के सोपान तय करता है। लेकिन विश्वकर्मा समाज के लोगों ने इस ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जिसके कारण हम लोग आजादी के 70 वर्षों के बाद भी अपने आपको अति पिछडा वर्ग में पाते हैं। स्मरण रहे कि आदि शंकराचार्य जो विश्वकर्मा वंशी रहे ने देश के भूभाग के चारों कोनों पर चार पीठों की स्थापना की और समाज को संगठित कर आध्यात्मिक शिखर पर ले जाने का कार्य किया। उनके बाद अनेकों शंकराचार्य भी विश्वकर्मा वंशी रहे। जिन्होंने समाज को दिशा दी। आध्यात्मिक क्षेत्र में देश ही नहीं विदेशों में भी अपना झंडा गाडने वाले गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्री राम शर्मा ने समाज में आयी विकृतियां दूर कर आध्यात्मिक चेतना जाग्रत कर संगठित करने का कार्य किया और धार्मिक अनुष्ठानों में अपना एकाधिकार बनाए रखने वाले पोंगा पण्डितों का वर्चस्व तोड़कर समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को पांण्डित्य कर्म की शिक्षा दी। आज गायत्री परिवार से जुडे हजार