महापुरुषों से प्रेरणा लेकर समाजोत्थान की दिशा में आगे बढें।

कोई भी व्यक्ति अथवा समाज अपने अतीत और पूर्वजों से प्रेरणा लेता है और पूर्वजों, महापुरुषों और ऋषि मुनियों द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों और उनके द्वारा बताये गए रास्तों पर चल कर ही प्रगति के सोपान तय करता है। लेकिन विश्वकर्मा समाज के लोगों ने इस ओर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जिसके कारण हम लोग आजादी के 70 वर्षों के बाद भी अपने आपको अति पिछडा वर्ग में पाते हैं।

स्मरण रहे कि आदि शंकराचार्य जो विश्वकर्मा वंशी रहे ने देश के भूभाग के चारों कोनों पर चार पीठों की स्थापना की और समाज को संगठित कर आध्यात्मिक शिखर पर ले जाने का कार्य किया। उनके बाद अनेकों शंकराचार्य भी विश्वकर्मा वंशी रहे। जिन्होंने समाज को दिशा दी।

आध्यात्मिक क्षेत्र में देश ही नहीं विदेशों में भी अपना झंडा गाडने वाले गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्री राम शर्मा ने समाज में आयी विकृतियां दूर कर आध्यात्मिक चेतना जाग्रत कर संगठित करने का कार्य किया और धार्मिक अनुष्ठानों में अपना एकाधिकार बनाए रखने वाले पोंगा पण्डितों का वर्चस्व तोड़कर समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को पांण्डित्य कर्म की शिक्षा दी। आज गायत्री परिवार से जुडे हजारों आचार्य रूढि वादिता और अन्ध विश्वास को चुनौती देकर कर्मकांड सम्पादित करा रहे हैं।

सामाजिक क्षेत्र में काम कर हिन्दुओं को संगठित करने वाला विश्व का सबसे बडा स्वयं सेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ है जिसकी स्थापना वर्ष 1925 में मा. केशव राम बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन मात्र 5 स्वयं सेवकों को साथ लेकर की थी। जो आज अक्षय वट बन चुका है जिसके कारण आज देश में ही नही विश्व में हिन्दुओं का मान-सम्मान और स्वाभिमान बढ़ा है।

राजनैतिक क्षेत्र में मा. बाल ठाकरे जी का नाम बडे श्रद्धा से लिया जाता है। वे हिन्दू हितों के बहुत बडे रक्षक थे और उन्हें महाराष्ट्र का शेर भी कहा जाता था। मा. बाल ठाकरे ने जो शिव सेना गठित की उसके स्वयं सेवकों ने मुम्बई और महाराष्ट्र में हिन्दू और राष्ट्र विरोधियों के दिमाग ठिकाने लगा दिये। शिवसेना आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है।

उपरोक्त चारों उदाहरण देने का मेरा आश्य है  कि हम समाज के सभी लोग यदि पूर्वाग्रह को त्याग कर वास्तव में विश्वकर्मा समाज को परम वैभव के शिखर पर ले जाना चाहते है तो हमें उक्त महापुरुषों के जीवन दर्शन, आदर्शों और कार्मों से प्रेरणा लेनी होगी और स्वार्थपरता और दलगत राजनीति से ऊपर उठना होगा तथा इन महापुरुषों के बताये रास्ते का अनुसरण करना होगा। कहा भी गया है कि महाजनों ऐन गतः सो पन्था । अतः इन महापुरुषों का अनुसरण कर हम समाज को विकास के रास्ते पर ले जा सकते हैं।

विश्वकर्मा एकीकरण अभियान का 9 जून 2002 को काफी गहन मनन और चिन्तन के बाद प्रारम्भ किया गया। इस अभियान के मूल में गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्री राम शर्मा जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा. केशव राव बलिराम हेडगेवार और शिवसेना के संस्थापक मा. बाल ठाकरे की प्रेरणा और चिन्तन है। जिसका बहुत गहराई से अध्ययन और मनन करने के बाद विश्वकर्मा समाज के तेज तर्रार आई.ए.एस. अधिकारी मा. श्री जे.एन. विश्वकर्मा ने सेवा निवृत्ति के बाद विश्वकर्मा एकीकरण अभियान का सूत्रपात किया। यह अभियान 9 जून 2018 को अपना 16 वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। आज उत्तर प्रदेश ही नहीं देश भर में विश्वकर्मा एकीकरण अभियान एक जाना पहचाना स्वयं सेवी संगठन है जो विश्वकर्मा समाज को परम वैभव के शिखर पर ले जाने के लिए सतत प्रयत्नशील है। विश्वकर्मा एकीकरण अभियान गैर राजनीतिक अभियान है लेकिन इसका उद्देश्य विभिन्न माध्यमों से विश्वकर्मा समाज की सत्ता में उसकी संख्या बल के अनुरूप भागेदारी सुनिश्चित कराना है जो आजादी के 70 वर्षों के बाद भी विश्वकर्मा समाज को नहीं मिल सकी और प्रत्येक स्थान पर विश्वकर्मा समाज उपेक्षा का शिकार रहा है। जहां कहीं विश्वकर्मा समाज ने बुलंदियों को छुआ है उसमें उनकी व्यक्तिगत बुद्धिमत्ता और कौशल रहा है। सरकारी स्तर पर हमारे लोग उपेक्षा का शिकार रहे। चाहे रेड ब्रिगेड की संस्थापक उषा विश्वकर्मा रही हों या जिम्नास्ट दीपा कर्माकर या फिर आई.ए.एस , आई.पी.एस. और अन्य शासकीय सेवाओं में विश्वकर्मा समाज के चमकते सितारे हों। सभी ने अपने बुद्धि बल, त्याग और तपस्या से बुलंदियों को छुआ है।

राजनीतिक रुप से उपेक्षा का शिकार विश्वकर्मा समाज की सत्ता में भागेदारी वक्त की सबसे बडी जरुरत है। क्योंकि वर्तमान परिवेश में बिना राजनीतिक संरक्षण के विकास की  कल्पना करना बेमानी है। क्योंकि आज प्रत्येक स्तर पर राजनीतिक दखलंदाजी बढ़ चुकी है और राजनीति में हमारा दखल शून्य है इसलिये हमारा समाज आजादी के 70 साल बाद भी पीछे है।

विश्वकर्मा समाज के शिक्षाविदों, नौकरशाहों, पुलिस व प्रशासन से सेवा निवृत्त अधिकारियों, व्यापारीगणों व उद्योगपतियों और कवि, लेखक, पत्रकार, डाक्टर, इंजीनियर सभी लोगों को अन्तर्मन से समाजोत्थान में यथा सम्भव सहभागिता अदा करनी चाहिए और प्रत्येक परिवार से एक सदस्य को  विश्वकर्मा एकीकरण अभियान में स्वयं सेवक के रुप में जोडने के लिये प्रेरित करें। हमारा प्रयास प्रत्येक ग्राम सभा प्रत्येक मोहल्ले प्रत्येक नगर, उप नगर और महानगर तक अभियान की उपस्थिति दर्ज कराना है। जिस दिन हम प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में स्वयंसेवकों की एक हजार संख्या जुटाकर सक्रिय कर देंगे। उस दिन किसी राजनैतिक दल का साहस नहीं होगा कि  वह विश्ववकर्मा समाज की उपेक्षा कर सके। क्योंकि अभियान के स्वयं सेवक जिस प्रत्याशी के पक्ष में सक्रिय हो जायेंगे। विजय श्री उसका वरण करेगी। और स्वयं सेवक उसी के पक्ष में सक्रिय होगें जो विश्वकर्मा समाज की संख्या बल के अनुरुप सत्ता में भागेदारी के लिए संकल्पित होगा। तो आइये, आज ही हम विश्वकर्मा एकीकरण अभियान से जुडें और विश्वकर्मा समाज की सत्ता में भागेदारी के लिये अग्रसर हों।

 


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